दिल नहीं लगता बिना उसके यहां
दिल नहीं लगता बिना उसके यहां

दिल नहीं लगता बिना उसके यहां

( Dil nahi lagta bina uske yahaan )

 

मिलनें को ही जब से गया उसके यहां!
दिल नहीं लगता बिना उसके यहां

 

चाय पीकर उसके घर आया हूँ मैं
कब रखना मुझको सदा उसके यहां

 

पास बैठे थे सभी उसके घर के
हाल कैसे पूछता उसके यहां

 

और मेरे घर उदासी है ग़म की
है ख़ुशी घर में ख़ुदा उसके यहां

 

वो नहीं मुझसे मिला जब प्यार से
और क्या मैं रुकता उसके यहां

 

वो मिला “आज़म” नहीं आकर मुझको
देर तक बैठा रहा उसके यहां

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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