Dimagi Khel
Dimagi Khel

दिमागी खेल

( Dimagi khel ) 

 

हम चाहते हैं पाना सब
बस मेहनत नही चाहते
चाहते हैं ऊंचाई नभ की
बस ,चढ़ाई नही चाहते…

मंजिल दूर हो भले कितनी
तलाशते हैं शॉर्टकट रास्ते
झुंके क्यों किसी के सामने
रखें क्यों किसी से वास्ते…

कोई कमी ही क्या है हममें
कुछ खास भी क्या उसमे
और की ही पीकर शराब
दिखाता है सभी को रुआब

कौन है टक्कर मे हमारे
कर सकता हूं वारे न्यारे
चल दी है हमने भी चाल
हमारे भी बदलेंगे हाल….

दिमाग का ही सारा खेल है
पता ही वो उसकी रखैल है
कहता मेहनत से बढ़ना है
पागल है, उसे तो गिरना है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

जवाबदारी | Javabdari

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here