Rudraksh
Rudraksh

अद्भुत है रुद्राक्ष

( Adbhut hai rudraksh )

भगवान शंकर के अश्रुओं से हुई जिसकी उत्पति,
असरदार और अद्भुत लाभ अचूक जिनमें शक्ति।
हिंदूधर्म में पूज्य और पवित्र जिसको माना जाता,
कलाई कंठ हृदय पर धारण करके करते भक्ति।।

पौराणिक मान्यता से जिसे रूद्र-अक्ष कहा जाता,
जो एक मुखी से चौदह मुखी का रुद्राक्ष है होता।
कुंडलियों के कई दोषों को यह रूद्राक्ष दूर करता,
हर रुद्राक्ष का अपनी जगह अलग महत्व होता।।

विज्ञानिको ने भी इसे बहुत ही असरकारक माना,
इलियोकार्पस गेनिट्रस नामक पेड़ फल से जाना।
जिसके धारण से उस व्यक्ति पर शिव कृपा रहती,
सावन माह में धारण का विशेष महत्व है जाना।।

बिन सोचे समझें इसको कोई भी धारण नहीं करें,
विधिवत मंत्रोच्चारण स्नान कर जिसे धारण करें।
लाल अथवा पीले धागे में जिसको पिरोकर पहनें,
किसी का पहना रुद्राक्ष कोई भी धारण ना करें।।

पहाड़ी इलाक़े में ख़ासकर ये हिमालय में मिलता,
१२ ३६ १०८ की जो मनका माला पहना जाता।
देहरादून-उत्तराखंड एवं मध्यप्रदेश में भी‌ मिलता,
हरिद्वार बंगाल गढ़वाल अरुणाचल में भी होता।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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