Do joon ki roti

दो जून की रोटी | Do joon ki roti | Kavita

दो जून की रोटी

( Do joon ki roti )

 

 

रोटियाँ…रोटियाँ…
रोटियाँ… रोटियाँ….

 

आगे पीछे उसके दुनिया है घूमती
वास्ते उसी के, चरणों को चूमती
बेमोल बेंच देता है, ईमान आदमी
सामने नजर के,जब वो है घूमती।।

 

उपदेश सारे बंद किताबों में कीजिए
भूख में नजर बस, आती है रोटियां।।

 

रोटियों के वास्ते, सुबह और शाम है
रोटियों के वास्ते तो, सारे काम है
मिलती जिन्हें हैं रोटियाँ वो खुश नसीब है
रोटी की चाहतों में, सब गरीब हैं

 

ताउम्र दौड़ते रहे, “चंचल” यहाँ वहाँ
अपनों के साथ खाने, दो जून रोटियाँ।।

रोटियाँ रोटियाँ….

 

🌸

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

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