![Jaag Uth Jaago mere Bhagwan](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2023/11/Jaag-696x483.png)
उठ जागो मेरे भगवान
( Uth jaago mere bhagwan )
उठ जागो…उठ जागो…उठ जागो,
उठ जागो मेरे भगवान, उठ जागो।
तेरे द्वार खड़ा मैं इंसान, उठ जागो,
मेरे निकल ना जाएं प्राण, उठ जागो।
मेरी जान में आ जाएं जान, उठ जागो,
उठ जागो मेरे भगवान…।।1।।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में,
देवशयनी पावन एकादशी पर्व में।
छोड़ गए तुम क्यों क्षीरसागर में,
श्रीहरि नारायण मेरे योग निद्रा में।
करे प्रभु चार माह विश्राम, उठ जागो,
बंद हो गए मांगलिक काम, उठ जागो।
उठ जागो मेरे भगवान, उठ जागो,
उठ जागो मेरे भगवान…।।2।।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में,
देवउठनी ग्यारस पावन पर्व में।
अब छोड़ ना देना हमे मझदार में,
कृपा करना प्रभु तुम हरिनाम में।
तुलसी विवाह करे शालिग्राम, उठ जागो,
प्रारंभ हो गए मांगलिक काम, उठ जागो।
उठ जागो मेरे भगवान, उठ जागो,
उठ जागो मेरे भगवान…।।3।।
साहित्यकार: हरिदास बड़ोदे ‘हरिप्रेम’
“शिक्षक/कवि/लेखक/लोकगायक/समाजसेवक”
जिला- बैतूल (मध्यप्रदेश)