डॉक्टर बिटिया रानी थी | Doctor Bitiya Rani Thi
( क्षोम है, दुख है, दुर्भाग्य है…यह कैसी विडंबना! )
डॉक्टर बिटिया रानी थी
दिन माह क्षण भूमंडल पर
धू धू करती इस अवनी पर
आक्रोश, क्लेश संघर्षों का
एक पल चैन नहीं मिलता।
होना क्या है समय गर्भ में
कोई कुछ नहीं कह सकता
ऐसा कौन दिन न बिता हो
जो, खबर अशुभ नहीं मिलता ?
आज मरी फिर एक निर्भया
डाक्टर बिटिया रानी थी
कसूर किसका इस पुरुषतंत्र में ?
निर्भया को न्याय नहीं मिलता।
मुक्त नहीं हो सकती निर्भया
जब तक दुःशासन जिंदा है
पढ़ लिखकर क्या और करोगी ?
जो मृत्य का मार्ग, तुम्हारा है!
पुष्पा त्रिपाठी “पुष्प”
बेंगलोर कर्नाटक
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