Bhakti Geet
Bhakti Geet

आट्टुकाल माता- भक्तिगीत

 

कुछ नहीं जानती आट्टुकाल माते
कुछ नहीं जानती आट्टुकाल माते
अनजानी राहों पर उंगली पकड़ ले जाने से
अविचल चित्त से मैं साथ आयी। (कुछ)

 

आदि मध्यान्त ज्ञान स्वरूपे
आकुलताओं को दूर करने तू आयी।
जानती हूँ मैं तेरी अभौम शक्ति ,
जानती हूँ तुझे आदि पराशक्ति । ( कुछ )

 

अंतर्मन में आनन्द लहरें उपजाती
अति ताकत -स्वरूपिणी आट्टुकाल माते ।
करुणा से संतान पालन करनेवाली,
सतत मैं तेरा नाम जपती रहती । ( कुछ )

 

??

उपरोक्त कविता कवयित्री: डॉ शीला गौरभि जी के स्वर में सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे
?

कवयित्री: डॉ शीला गौरभि

सह आचार्या
हिन्दी विभाग, यूनिवर्सिटी कॉलेज
तिरुवनंतपुरम
( केरल )

यह भी पढ़ें :- 

कृष्ण भक्तिगान | Krishna Bhakti Gaan

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here