Poem Udti Patang si Fitrat
Poem Udti Patang si Fitrat

उड़ती पतंग सी फितरत

( Udti patang si fitrat ) 

 

व्योम तलक उड़ाने उंची आसमां तक छा जाऊं।
मन करता दुनिया घूम लूं पंख लगा उड़ पाऊं।

उड़ती पतंग सी फितरत डोर को थामे रखना।
दुनिया के रंग निराले खुशियों की शामे रखना।

उड़ती रहे नील गगन में विविध भांति रंग लिए।
अटकलें आसमानों में खिलाती बलखाती पिये।

सैर सपाटा संसार में जमीन से जुड़े रहो कहती।
पतंग सी फितरत मेरी दिल में धरती मां बसती।

परवाज हौसलों की भर मंजिलों की ओर चलें।
देशभक्ति जोश जज्बा मन में कई अरमान पले।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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