डूबते को तिनके का सहारा

डूबते को तिनके का सहारा | Kavita Doobte ko Tinke ka Sahara

डूबते को तिनके का सहारा

( Doobte ko Tinke ka Sahara )

डूबते को तिनके का कोई सहारा मिल जाए।
मंझधार में हमको कोई किनारा मिल जाए।

रिश्तो में भी प्रेम भरी कोई रसधारा बह जाए।
मुश्किलों की क्या बिसात दर्द सारा ढह जाए।

तूफानों में कश्तियों को हौसला मिल जाए।
ठान ले इंसान गर दिग्गज सारे हिल जाए।

जोश जज्बा हिम्मत से मंजिलों के पार हुए।
खुल जाए रास्ते सारे दुश्मन कई हजार हुए।

संघर्षो से लोहा लेकर स्वप्न कई साकार हुए।
सफलता शिखर पर खुशियों के अंबार हुए।

हार नहीं माने कभी हिम्मत कभी नहीं हारे।
डूबने वाले तिर जाते एक तिनके के सहारे।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *