सुमन हिय के खिल गये
सुमन हिय के खिल गये

सुमन हिय के खिल गये

( Suman hiye ke khil gaye )

 

मुस्कान लबों पर आए, सब मिल गीत गाए।
खुशियों की बारिश में, हमको नहाना है।

उर प्रेम भाव पले, आशाओं के दीप जगे।
प्यार भरे दीप हमें, दिलों में जगाना है।

 

भाव उर में खिल उठे, सपने सुनहरे सजाना है।
रौनक चेहरों पे आए, खुश माहौल बनाना है।

 

जीवन जीने की कला, पथ पर बढ़ते जाना।
संघर्षों का नाम और, यही अफसाना है।

 

आंधी तूफान सब सहना, हौसलों से भी रहना।
लक्ष्य साध मंजिल पर, सदा बढ़ते ही जाना है।

 

देशप्रेम के गीत गा, हमें राष्ट्रप्रेम जगाना है।
मन का दीप जला हमें, जग उजियारा लाना है।

 

प्यार के मोती लुटाकर, फूलों सा मुस्काना है।
अपनेपन की भीनी खुशबू, दुनिया में फैलाना है।

 

औरों के सुख दुख में, हमको काम आना है।
परिवर्तन नियति नियम, हमें हंसना हंसाना है।

 

जीवन जीने की कला, जीने का अनुभव पाना है।
दीन हीन को गले लगा, सद्भाव फूल खिलाना है।

 

हिम्मत हौसलों जज्बों की, उड़ान भर जाना है।
वंदे मातरम वंदे मातरम, वंदे मातरम गाना है।

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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