दोस्त आ शहर से अब चले गांव में
दोस्त आ शहर से अब चले गांव में

दोस्त आ शहर से अब चले गांव में

( Dost aa shahar se ab chale gaon mein ) 

 

 

दोस्त आ शहर से अब चले गांव में

साथ अपनों के जाकर रहे गांव में

 

नफ़रतें है यहां शहर में हर तरफ़

प्यार से लोग देखो भरे गांव में

 

कौन है इस नगर में अपना देखले

शहर से चल सब अपनें रहे गांव में

 

जिंदगी को दर्द इस शहर से है मिले

प्यार के मरहम मुझको मिले गांव में

 

छोड़ दें बेवफ़ा शहर की हर गली

याद सब देख तुझको करे गांव में

 

शहर में नफ़रतों के ख़ंजर है चले

प्यार के तीर आज़म चले गांव में

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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