दोस्त हाले दिल अपना सुनाओ ज़रा
( Dost haal -e- dil apna sunao jara )
दोस्त हाले दिल अपना सुनाओ ज़रा
थे कहा तुम गले से लगाओ ज़रा
क्या किया इतने दिन गांव में ही तन्हा
और अपनें बारे में बताओ ज़रा
क्या मिलेगा मुझे प्यार में रुलाकर
और मुझको न यूं ही सताओ ज़रा
यूं न छोड़ो तन्हा बीच राहों में ही
उम्रभर साथ मेरा निभाओ ज़रा
प्यार की अंखिया मुझसे मिला लो सनम
दूर क्यों बैठो हो पास आओ ज़रा
ग़म लगेगा वरना मेरे दिल को बहुत
छोड़कर के नहीं मुझको जाओ ज़रा
भूल जाये किसी को सदा के लिए
जाम ऐसा आज़म को पिलाओ ज़रा