दोस्ती का हक अदा कर!

Dosti Ka Haq | दोस्ती का हक़ अदा कर

दोस्ती का हक अदा कर!

( Dosti Ka Haq Ada Kar )

 

 

दोस्ती का हक अदा कर!

इतनी दिल से तू वफ़ा कर

 

दिल से रिश्ता तू निभालें

दिल न अपना बेवफ़ा कर

 

दें वफ़ा तू जिंदगी भर

यूं न उल्फ़त में जफ़ा कर

 

साथ बनकर हम सफ़र चल

हर क़दम मत फ़ासिला कर

 

रख बसाकर दिल में मुझको

तू न दिल से यूं जुदा कर

 

कुछ नहीं मिलता दग़ा से

दिल अपना तू बावफ़ा कर

 

 छोड़ झगड़ा तू आज़म से

प्यार से मिलकर रहा कर

 

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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