Dr. K. K. Srivastava poetry

मकानों में रख लिया | Dr. Kaushal Kishore Srivastava poetry

मकानों में रख लिया

( Makano me rakh liya )

 

 

था जिन दियो में तेल मकानों में रख लिया ।
खाली दियो को तुमने मचानों में रख दिया ।।

 

 

उत्तर  थे  मेरे पास तुमने छीन सब लिया ।
फिर मुझको सवालो के निशानों पे रख दिया ।।

 

 

छीनी किसानों की जमी और तिजोरी भर ली ।
छीना  धरती  माँ  को दुकानों पे रख दिया ।।

 

 

मेरे  तुम्हारे बीच  पोशीदा  करार  था ।
महफ़िल में तुमने हरेक जवानों पे रख दिया ।।

 

 

आकड़  है  माँ  वक्त  ने  हमको  उतार  कर ।
धड़काया और फिर कब्र के खानों में रख दिया ।।

 

 

✍?

 

लेखक : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

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