मकानों में रख लिया | Dr. Kaushal Kishore Srivastava poetry
मकानों में रख लिया
( Makano me rakh liya )
था जिन दियो में तेल मकानों में रख लिया ।
खाली दियो को तुमने मचानों में रख दिया ।।
उत्तर थे मेरे पास तुमने छीन सब लिया ।
फिर मुझको सवालो के निशानों पे रख दिया ।।
छीनी किसानों की जमी और तिजोरी भर ली ।
छीना धरती माँ को दुकानों पे रख दिया ।।
मेरे तुम्हारे बीच पोशीदा करार था ।
महफ़िल में तुमने हरेक जवानों पे रख दिया ।।
आकड़ है माँ वक्त ने हमको उतार कर ।
धड़काया और फिर कब्र के खानों में रख दिया ।।
लेखक : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव
171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
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