Darakht kulhari

दरख़्त कुल्हाड़ी | Kavita

दरख़्त कुल्हाड़ी ( Darakht kulhari )     बूढ़ा दरख़्त बोल पड़ा कुल्हाड़ी कहर बहुत ढहाती बिन लकड़ी के तू भी व्यर्थ चोट नहीं पहुंचा पाती   जिस लोहे की बनी हुई वह भी तो चोटे सहता है अपना ही जब चोट करें तो दर्द भयंकर रहता है   बिन हत्थे के तू कुल्हाड़ी चल…

Hindi poetry meri shargoshiyan

मेरी सरगोशियाँ | Hindi poetry meri shargoshiyan

मेरी सरगोशियाँ ( Meri shargoshiyan )   मैं मेरे मन के एहसास को संजोकर उसके प्रेम की अनुभूति को लिखने चला मेरे ख्यालों में मेरे ख्वाबों में वो आकर मेरे जज्बातों की अग्नि को प्रदीप्त कर दी आकर कानों कुछ सरगोशियां की कितने दीवाने हो तुम मेरे प्यार में ये तुम्हारा पागलपन है क्यों करते…

Vairagya kavita

वैराग्य | Vairagya kavita

वैराग्य ( Vairagya )   सांसारिक जीवन से विरक्ति वैराग्य जब जागे हृदय  के  सारे  अंधकार  दुर्गुण दोष सब भागे   बने वैरागी राजा भर्तृहरि राजपाट दिया त्याग तप योग साधना कर हुआ हरि भजन अनुराग   गौतम बुद्ध वैराग्य जागा जन्म मरण गए जान खूब  तपस्या  करके वन में महात्मा हुये महान   साधु-संत…

Hindi poem pyar ka tohfa

प्यार का तोहफा | Hindi poem pyar ka tohfa

प्यार का तोहफा ( Pyar ka tohfa )   जो हो दिलदार खास उनका स्वागत कीजिए दिल खोल खुशियां बांटो प्यार का तोहफा दीजिए   महक उठे मन का कोना सबको खुशियां दीजिए प्यार की खुशबू महकेगी हर पल महसूस कीजिए   चार दिन की जिंदगी पल पल जी लीजिए हंसी खुशी से जीवन आनंद…

Dr. K. K. Srivastava poetry

मकानों में रख लिया | Dr. Kaushal Kishore Srivastava poetry

मकानों में रख लिया ( Makano me rakh liya )     था जिन दियो में तेल मकानों में रख लिया । खाली दियो को तुमने मचानों में रख दिया ।।     उत्तर  थे  मेरे पास तुमने छीन सब लिया । फिर मुझको सवालो के निशानों पे रख दिया ।।     छीनी किसानों…

Hindi poetry

सच का पता आसान नहीं है | Hindi poetry

सच का पता आसान नहीं है ( Sach ka pata aasan nahin hai )   तूफां से भिड़ना पड़ता है आंधी से लड़ना पड़ता है उर हौसला दुर्गम पथ पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता है   नदी नाले कंटक राहों का पथिक कहो ज्ञान नहीं है सत्य की राह चलना सच का पथ आसान नहीं है…

Main kavita ki hunkaro se

मैं कविता की हूंकारो से | Kavita

मैं कविता की हूंकारो से ( Main kavita ki hunkaro se )     मैं कविता की हूंकारो से, गगन उठाया करता हूं। सोया सिंह जंगल का राजा, शेर जगाया करता हूं।   मात पिता गुरु की सेवा का, धर्म बताया करता हूं। अतिथि देवन हमारे, सम्मान जताया करता हूं।   शब्दाक्षर से अल्फाजों में,…

Tyohar kavita

कहां अब पहले से त्यौहार | Tyohar kavita

कहां अब पहले से त्यौहार ( Kahan ab pehle se tyohar )     कहां अब पहले से त्यौहार रहा ना अपनापन प्यार बड़ों का होता सम्मान लुप्त हो रहे सभी संस्कार   सद्भावों की बहती गंगा घट घट उमड़ता प्यार बहन बेटी बुजुर्गों का होता तब आदर सत्कार   अतिथि को देव मानते पत्थर…

Manbhavan kavita

मनभावन कविता | Manbhavan kavita

मनभावन कविता ( Manbhavan kavita )     साहित्य विधाएं मधुरम कवि की कविताएं मधुरम उर पटल आनंद भरती मनभावन रचनाएं मधुरम   शब्द सुरीले मीठे-मीठे बहती भाव सरितायें मधुरम छंद सोरठा गीत गजल में सजे नई उपमायें मधुरम   कल्पनायें साकार होती सृजन भरी रचनाएं मधुरम भाव सिंधु से मोती बहते काव्य की धाराएं…

Kumhar kavita

कुम्हार | Kumhar kavita

कुम्हार ( Kumhar )   बाबू ले लो ना दिए घर तेरा रोशन हो जाएगा। एक वक्त की रोटी के लिए मेरा चूल्हा भी जल जाएगा। मेरी भूख तब मिटेगी जब तेरा हर कोना जगमग आएगा। ले लो ना बाबू जी कुछ दिए मेरा चूल्हा भी जल जाएगा। छोटे बड़े दीपक से अंधकार मिट जाएगा…