Yauvan kavita
Yauvan kavita

यौवन

( Yauvan : Kavita )

 

 

अंग अंग भरी जवानी मन ही मन इठलाता यौवन
मादकता के रंग बिखेरे मदमाता बल खाता यौवन

 

बहती सरिता सी अंगड़ाई फूलों सा महकता यौवन
उन्मुक्त उड़ान भरे जवानी स्वप्न सुनहरे हो अंतर्मन

 

सागर सी उमंगे उठती भाव भरी बहती धाराएं
मंद मंद मुस्काता यौवन मदमस्त महकती हवायें

 

खिला-खिला सा दमकता सौंदर्य भरा ललाट सारा
कांति ओज आनन उतरे यौवन लगे सबको प्यारा

 

अठखेलियां मन को भाती दिल तराने गाता है
सारा जहां सुंदर लगता यौवन जब छा जाता है

 

यौवन की पगडंडी पर चलना संभल संभल प्यारे
झील सी मादक आंखों में मनमोहक बहे जलधारे

 

यौवन की दहलीज पर बहती बदलावों की बयार
महके मन का हर कोना सुंदर सा लगता संसार

 

कामनाओं के भंवर में जब यौवन बल खाता है
सृष्टि में नव सृजन होता मौसम रंग दिखाता है

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

खंडहर | Hindi kavita khandhar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here