ए दोस्त हम ख़ुशी के तलबगार हो गये
ए दोस्त हम ख़ुशी के तलबगार हो गये
ए दोस्त हम ख़ुशी के तलबगार हो गये।
हम जिंदगी में इतनें ग़मेयार हो गये ।।
अब हो गया है हमसे ख़फ़ा इस क़दर सनम ।
किस बात के हम इतनें ख़तावार हो गये ।।
दें दें हंसी लबों पे ख़ुदा मेरे अब ज़रा।
ए रब बहुत आंखों से अश्कबार हो गये।।
दिल प्यार का उसी के तलबगार है बहुत ।
नैनों के तीर उसके दिल के पार हो गये ।।
हम रह गये हैं तन्हा पड़े गाँव में यहाँ ।
वो उम्र भर के लिए जुदा यार हो गये ।।
आज़म का यार बेवफा कैसे निकल गया ।
जो छोड़ने को वो मुझे तैयार हो गये ।।