Kavita Paryavaran aur Ped

पर्यावरण और पेड़

( Paryavaran aur ped )

आओ मिलकर पेड़ लगाएं, धरा को फिर से स्वर्ग बनाएं।
तेज गर्मी हो या अनावृष्टि, प्रकृति की अनियमितता से बचाएं।

बरसों से मानव विकास के नाम पर पेड़ों को है काट रहा।
अनजाने में ही वो विनाश का आमंत्रण सबको बांट रहा।

पेड़ ही नहीं रहेंगे तो धरती पर कैसे फिर बारिश होगी।
तापमान बढ़ेगा धरा का आग जैसी सूरज में तपिश होगी।

पेड़ कटने से मानसून का चक्र भी गड़बड़ाए।
बारिश की कमी से खेतों में फसल कैसे लहराए।

बिन पेड़ों के प्रकृति भी अपना संतुलन खो देगी।
विनाश ऐसा होगा कि मानव सभ्यता भी रो देगी।

उठो जागो ऐ मानव अब भी वक्त है संभल जाओ।
पेड़ लगाओ हरियाली फैलाओ प्रकृति को फिर सजाओ।

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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