पिता का सहारा | Kavita Pita ka Sahara
पिता का सहारा
( Pita ka Sahara )
जिस भी बच्चे के सिर पर पिता का सहारा होता है,
दुनिया में खुशनुमा उसके लिए हर एक नजारा होता है।
हर एक इच्छा पूरी करते अपने प्यारे बच्चे की,
करते दुगनी मेहनत भरपाई करने उसके खर्चे की।
मोमबत्ती सा जलकर पिता बच्चों का जीवन रोशन करता है,
अपने सारे सुख त्यागकर कड़ा परिश्रम करता है।
पिता के होते हर बच्चा राजकुमार सा होता है,
उसके जाने पर पता चलता कि उसने क्या खोया है।
पिता ईश्वर का है स्वरूप करो उसका आदर सम्मान,
होगा तुम्हारा भला मानो उनका हर आदेश फरमान।
पिता होता है अपने बच्चे का भाग्य विधाता,
उनके होते बच्चे पर कोई संकट नहीं आता।
पिता है साक्षात परमेश्वर स्वरूप बच्चों का पालनहार,
इसकी महानता को समझो और कर लो स्वीकार।।
रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )