फर्स्ट कि सेकंड इनिंग | First ki Second Inning
फर्स्ट कि सेकंड इनिंग
( First Ki Second Inning )
स्त्री तुम बाढ़ तो नहीं हो
पावन नदी हो ।
अपनी मर्यादा में बहो
प्रभु की मर्यादा में रहो।
तुम आधुनिकता में
उड़ता हुआ
बवंडर नहीं!
उजड़ा हुआ
खंडहर नहीं!
रंगभरी तस्वीर हो ।
जिंदगियों में रंग भरो
ज़िंदगी को इंद्रधनुष करो।
ख़ुद से करो फ्लर्टिंग
क्या ग़म फर्स्ट हो
या सेकंड इनिंग!
हमेशा हो ग्लिटरिंग।
( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी )
भोपाल, मध्य प्रदेश
aarambhanushree576@gmail.com