शंकर दयाल सिंह
( Shankar Dayal Singh )
भगवती कृपा प्रसाद पाया शंकर दयाल नाम
भवानीपुरा में जन्मे शंकर कीर्तिमान सरनाम
साहित्य कमल पंखुड़ी सा सौरभ लुटाता रहा
सांसद रहकर सत्ता में परचम लहराता रहा
राष्ट्रप्रेम भरा दीवाना देश प्रेम को जीता था
जीवन की धूप छांव प्रेम सुधा रस पीता था
संस्कृति सनातन प्यारी जीवन मूल्यों की रक्षा हो
निर्बल को न्याय मिले धीरज कि नहीं परीक्षा हो
राजनीति के दांव पेच कविराज को नहीं लुभाते थे
शंकरदयाल साहित्य प्रेमी काव्य सुधा बरसाते थे
खिले कमल पुष्प दयाल ओज भरा था तेवर में
दलदल भरा हुआ पाया राजनीति के सरोवर में
राजनीतिक प्रचंड धूप में झुलस रही जनता सारी
नेताओं ने पांव जमाए बढ़ रही महंगाई भ्रष्टाचारी
जब जब राजनीति ने शंकर को विचलित किया
साहित्य ने दिया सहारा काव्य रस छककर पीया
शब्द लेखों आलेखों में काव्य सृजन में मिल जाते
शंकरदयाल जनमन के मनमानस में अब भी आते
राजनीति की धूप लिखी साहित्य की ठंडी छांव को
उच्च विचारों के धनी रहे दिग्गजों में जमाए पांव को
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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