Ghazal | जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए
जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए !
( Jindagi mein nahi matalabi chahie )
जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए !
इक वफ़ा की मगर दोस्ती चाहिए
जिंदगी अब ग़मों में बहुत जी ली है
ऐ ख़ुदा उम्रभर अब ख़ुशी चाहिए
उम्रभर के लिये हो वफ़ाये भरी
जिंदगी में रब वो आशिक़ी चाहिए
नफ़रतों के अंधेरे मिटा दें ख़ुदा
राहों में प्यार की चांदनी चाहिए
प्यार तेरा सनम चाहिए उम्रभर
ये नहीं तेरी नाराज़गी चाहिए
जो हमेशा दें ख़ुशबू वफ़ा की यहां
ऐ ख़ुदा प्यार की वो कली चाहिए
उसको ऐ रब नहीं मुझसे करना जुदा
जिंदगी में रब न उसकी कमी चाहिए
रब मिला दें उससे आज़म को सदा
और नहीं दिल में रब बेकली चाहिए