गंगा की पावन धरती

( Ganga ki Pawan Dharti )

 

गंगा की पावन धरती को ,
हम-सब स्वर्ग बनाएंगे!
भ्रष्टाचार मिटाकर जगसे ,
रामराज्य अब लाएंगे !!

दीन-दुखी ना कोई होगा,
स्वस्थ सुखी होंगे प्यारे !
दैहिक दैविक संतापों से ,
बच जाएंगे हम सारे !!

देखेगी दुनियाँ सारी जब ,
परचम अपना फहराएंगे !
आगे बढ़कर विश्व शांति का ,
हम-सब अलख जगाएंगे !!

भारत की गौरव गाथा का ,
जिज्ञासु जन गान सुनाएंगे !
सर्वधर्म सद्भाव जगा कर,
मानवता सरसाऐंगे !!

kamlesh

कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”

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