
अपना ऐसा गणतंत्र हो
( Apna Aisa Gantantra Ho )
अपना ऐसा यह गणतंत्र हो,
और बच्चें एक या दो ही हो।
हौंसले सबके यें मज़बूत हो,
व स्वतंत्रता का आभास हो।।
आज नही रहें कोई परेशान,
वृद्ध-बच्चें या जवान इंसान।
संदेश दर्शाता यही लोकतंत्र,
तिरंगा हमारा देश की शान।।
कानून सब के लिए एक हो,
अमीर अथवा वह ग़रीब हो।
अपना ऐसा यह गणतंत्र हो,
आज सभी यहां स्वतन्त्र हो।।
प्रतिभावान को आदर मिलें,
जवानों को यें सम्मान मिलें।
किसानों को पूरा दाम मिलें,
नुकसानों पर सहयोग मिलें।।
निर्धन को खाना मिल जाएं,
श्रम की मजदूरी मिल जाएं।
उनके भी है अनेंक अरमान,
हर परेशानियां हल हो जाएं।।
पुत्र मां व बाप की सेवा करें,
बेटी, बहनों की इज्जत करें।
अपना ऐसा यह गणतंत्र रहें,
एक-दूसरे से सब प्यार करें।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )