आया राखी का त्यौहार | Geet rakhi par
आया राखी का त्यौहार
( Aaya rakhi ka tyohar )
आया राखी का त्यौहार
आया राखी का त्यौहार
कलाई पर बांध रही है
बहना लेकर हर्ष अपार
आया राखी का त्यौहार
एक रेशम की डोर लाई,
बहना छम छम करती आई।
चंदन तिलक लगा माथे पर,
बहना करती मंगलाचार।
आया राखी का त्यौहार
महक रहा कच्चे धागों में,
रिश्तो का उमड़ता प्यार।
पर्व प्रेम का रक्षाबंधन,
पुरातन संस्कृति संस्कार।
आया राखी का त्यौहार
धरती मां के राज दुलारे,
सरहद पर सेनानी सारे।
रक्षासूत्र बांधकर गाते,
भारत माता की जयकार।
आया राखी का त्यौहार
उमड़ रहा उर प्रेम सलोना,
लगी खुशियों की बौछार।
हर रिश्तो में पावन रिश्ता,
रिश्तो से महकता घर द्वार।
आया राखी का त्यौहार
हम पेड़ को बांधे राखी,
ठंडी हवा रस बरसाती।
हरियाली से लदी धरती,
चलती मोहक मस्त बयार।
आया राखी का त्यौहार
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )