Geet Bharosa aur Pyar
Geet Bharosa aur Pyar

भरोसा और प्यार संजीवनी बूटी

( Bharosa aur pyar sanjeevani booti ) 

 

खुद पर रख भरोसा प्यारे पथ में प्यार लुटाता जा
मन के विश्वास से जग में नर पौरुष दिखलाता जा
पथ में प्यार लुटाता जा

हर रिश्तो में जान फूंक दे बिगड़े बनते काम सभी
हर राहें आसान हो जाती यश वैभव पहचान तभी
घर स्वर्ग से सुंदर हो खुशियों के दीप जलाता जा
डगर डगर पे प्यार के मोती प्यारे प्रेम बरसाता जा
पथ में प्यार लुटाता जा

दिला भरोसा दिल जीतो पावन प्रेम रसधार बनो
अभिमान अभी त्याग दो प्रेम सुधा की धार बनो
सद्भावो की अविरल धारा डुबकी खूब लगाता जा
महके मन की वादियां महफिल को महकाता जा
पथ में प्यार लुटाता जा

हौसला भरोसा उमंगे प्यार हो संजीवनी बूटी सा
बरसती नेह की गंगा रिश्ता वही प्यारा अनूठा सा
अपनापन अनमोल मिले रिश्तो को महकाता जा
एकता के प्रेमसूत्र में नर जीवन रस बरसाता जा
पथ में प्यार लुटाता जा

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

मौत मुक्ति तो नहीं है | Maut par Kavita

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here