
मौत मुक्ति तो नहीं है
( Maut mukti to nahi hai )
मृत्यु शाश्वत सत्य है जग में मौत मुक्ति तो नहीं है।
मिले हरि भजन से आसान युक्ति तो नहीं है।
स्वर्ग गए सिधार कहो कह दो मृत्यु को प्राप्त हुए।
कर्मभूमि में शुभ कर्म जो सांसों में हरि व्याप्त हुए।
जितनी सांसे मिली प्रभु से जीवन में रस पान करो।
आठों याम हरि सुमिरन उस परमेश्वर का ध्यान करो।
जन्म मरण से मुक्ति होगी परमधाम वो पाएगा।
वैकुंठ के दर्शन होंगे नर देवलोक को जाएगा।
अटल मृत्यु है इस धरा पे मौत मुक्ति तो नहीं है।
जीवन के संघर्षों से बचने की युक्ति तो नहीं है।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )