Bachpan par Kavita
Bachpan par Kavita

बचपन की बातें

( Bachpan ki baatein ) 

 

बचपन के वह क्या दिन थें हमारे,
हम थें ऐसे वह चमकने वाले तारें।
रोने की वज़ह ना हंसने के बहाने,
खुशियों के खज़ाने इतने थे प्यारे।।

दादा एवं दादी वो नाना एवं नानी,
भैया-भाभी पापा-मम्मी ये हमारे।
बुआ फूफा फ़िक्र करते थे हमारी,
बचपन में प्यार बरसाते यह सारे।।

आज खड़े है हम उनकी वजह से,
जो कुछ है सब उन्ही की दुआ से।
लाड़-प्यार से पाला था हमे सबने,
देखे है सपने उन्होंने बड़े प्यार से।।

शांत सरोवर सी उनकी मुलाकातें,
याद है आज भी बचपन की बातें।
कैसे गुजरी हमारी मां की वो रातें,
मां को मम्मा हम कहके बतियाते।।

तीज त्यौहार सभी लगते थे फीके,
दुःख-तकलीफ़ में लेकर वे भगते।
माता-पिता के हम गोपाल थें ऐसे,
मुॅंह का निवाला चबाकर हमें देते।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

 

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