Geet dil na dukhana kisi ka
Geet dil na dukhana kisi ka

दिल ना दुखाना किसी का

( Dil na dukhana kisi ka )

 

हंसी खुशी में रैना बीते सब प्रेम सुधा रस घोलो।
छोड़ो सब नफरत की बातें आपस में सब बोलो।
आंगन उजियारा होगा कभी मन ना होगा फीका।
प्यार के मोती लुटाओ दिल ना दुखाना किसी का।
कभी दिल ना दुखाना किसी का

कौन है अपना कौन पराया काम पड़े सब जाने।
इस दुनिया में मतलब की बातें सब ही पहचाने।
सद्भावों की पावन गंगा मन ध्यान धरो हरि का।
पापी पार उतरे भव दिल ना दुखाना किसी का।
कभी दिल ना दुखाना किसी का

कोई वक्त का मारा होगा इस दुनिया में बेचारा होगा।
जिसका कोई नहीं जग में उसका कौन सहारा होगा।
सेवा से सुख देते हैं नारायण यह संसार है जिसका।
हो सके भला ही करना दिल ना दुखाना किसी का।
कभी दिल ना दुखाना किसी का

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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