Kavita swagat hai nav varsh tumhara
Kavita swagat hai nav varsh tumhara

स्वागत है नववर्ष तुम्हारा

( Swagat hai nav varsh tumhara ) 

 

नवल आस से है सजा सपनों का संसार।
अभिनंदन है नववर्ष घट घट बरसे प्यार।
स्वागत करते बारंबार स्वागत करते बारंबार।

नई सोच ले नई उमंगे उमड़े भाव भरी रसधार।
होठों पर मुस्कान मधुर हो खुशियों भरा संसार।
मन की कलियां खिले महके गुलशन गुलजार।
अभिनंदन की शुभ बेला में नववर्ष करे सत्कार।
स्वागत करते बारंबार,स्वागत करते बारंबार।

आशाओं के दीप तुम हो पावन गंगा जलधार।
हर्ष खुशी आनंद मधुर दिलों का उमड़ता प्यार।
जीवन अनमोल मोती सुख आनंद भरा भंडार।
उन्नति का सोपान बन प्रेम की मधुर फुहार।
स्वागत करते बारंबार स्वागत करते बारंबार।

अंधकार में उजियारा फुलझडियों की बहार।
हंसी तराने गीत सुहाने बोल मधुर सदाबहार।
प्यार की सरिता बनकर बन जाओ जलधार।
महकते रहे आंगन सारे फुलवारी में सदाचार।
स्वागत करते बारंबार स्वागत करते बारंबार।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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