Geet had kar di aapne

हद कर दी आपने | Geet had kar di aapne

हद कर दी आपने

( Had kar di aapne )

 

वादे प्रलोभन भारी, नित्य नियम बदले सरकारी।
नेताओं की लीला न्यारी, चमचे आला अधिकारी।
हद कर दी आपने, हद कर दी आपने।

 

सड़क पुल नदियां निगले, निगल रहे हैं वोट।
फन फैलाए विषधर बैठे, करते विषैली चोट।
सत्ता के गलियारों में, मिल जाएंगे जाने-माने।
चुनावों में हाथ जोड़े, वक्त पड़े ना पहचाने।
हद कर दी आपने, हद कर दी आपने।

 

स्वार्थ की आंधी चल रही, टूट रहे सब रिश्ते नाते।
अपनापन अनमोल खोया, खोई प्यार भरी बातें।
नैन दिखाए पुत्र पिता को, बंधु हो गए अनजाने।
संस्कारों का हनन हुआ, खुदको सबसे बड़ा माने।
हद कर दी आपने, हद कर दी आपने।

 

महिलाओं का राज घर में, आदमी जमूरा हो गया।
साला साली की कदर होती, राग बेसुरा हो गया।
सास-ससुर से मीठी बातें, मातपिता को अब ताने।
क्या जमाना आ गया, कहां गए वो पल सुहाने।
हद कर दी आपने, हद कर दी आपने।

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

उपवास | Upwas chhand

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *