जल दिवस | Geet Jal Divas
जल दिवस
( Jal Divas )
जल ही जीवन जानते हो
फिर भी तुम ना मानते हो
व्यर्थ बहने देते हो जल व्यर्थ बहने देते हो
कपड़े बर्तन धोते समय नल नहीं बंद करते हो
हाथ मुंह धोते समय नल नहीं बंद करते हो
सब्जियां फल धोके पानी पेड़ों में नहीं डालते हो
व्यर्थ बहने देते हो तुम व्यर्थ बहने न देते हो
बरसात का पानी अगर एकत्र अपने घर करो
तालाब पोखर बावड़ी एकत्र जल बाहर करो
जल की तुम्हें कमी ना हो
सिंचाई पौधों की भी हो
कटु सत्य नहीं समझते हो
व्यर्थ बहने देते हो तुम व्यर्थ बहने देते हो
जल संरक्षण गर ना होगा
सर सरिता सिंधु सूखेंगे
जल संरक्षण गर ना होगा
घर के घड़े भी रीतेगे
न जाने कब प्रलय आ जाए
विनाश सूखा बनकर आए
व्यर्थ बहने देते हो तुम व्यर्थ बहने देते हो
वृक्षारोपण करके तुम जल संरक्षण कर सको
काटो अगर ना वृक्षों को वन संरक्षण कर सको
वृक्षों को सम्मान न दो बरखा को भी मन ना दो
हंसी ठिठोली करते हो
व्यर्थ बहने देते हो तुम व्यर्थ बहने देते हो
पंछियों को दाना पानी तुमको देना चाहिए
पशुओं को भी रोज पानी तुमको देना चाहिए
ऐसा तुम जिस दिन करोगे झोली पुष्पों से भरोगे
ऐसा तुम नहीं करते हो
व्यर्थ बहने देते हो तुम व्यर्थ बहने देते हो
आशा झा
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )