Geet Karo Wahi jo Man ko Bhaye
Geet Karo Wahi jo Man ko Bhaye

करो वही जो मन को भाए

( Karo wahi jo man ko bhaye )

 

करो वही जो मन को भाए, घर में सुख शांति लाए।
प्रेम की पावन सरिता बहाएं, चेहरों पे रौनक लाए।
करो वही जो मन को भाए

सत्य सादगी संस्कारों में, मेहनत का पथ अपनाओ।
परोपकार दान पुण्य का, भाव संस्कारों में लाओ।
कुछ तो लोग कहेंगे, बातें लोगों की चित ना लाए।
जीवन में उन्नति करें, शुभ कर्मों से पथ महकाए।
करो वही जो मन को भाए

मिले प्रेम से मधुर भाव ले, जाने सबका हाल-चाल।
अपनापन अनमोल बांटे, मुस्कानों से हो मालामाल।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का दुख दर्द हर जाए।
खुशियों में खुशियां बांटे, दुख में सबके काम आए।
करो वही जो मिल को भाए

हम रिश्तो में मधुरता घोले, प्रेम की रसधार बहा दे।
हिलमिल प्रेम की गंगा, मीठी बोली में प्यार घुला दे।
खिले चमन से रिश्ते महके, चेहरों पे मुस्काने छाए।
यश वैभव किरदार बनो, कीर्ति पताका नभ लहराए।
करो वही जो मन को भाए

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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