Geet Man Shivalay ho Jaye

मन शिवालय हो जाए | Geet Man Shivalay ho Jaye

मन शिवालय हो जाए

( Man shivalay ho jaye ) 

 

ओंकार निकले कंठो से, बम बम भोले शिव आये।
मनमंदिर में दीप जलाऊं, घट उजियारा हो जाए।
लोटा भर के जल चढ़ाऊं, गजानंद दुख हर जाए।
हर हर महादेव कानो में, शिव शंकर शंभू भाए।
मन शिवालय हो जाए

बाघाम्बर धारी शिव भोले, अगम अगोचर अविनाशी।
त्रिनेत्र त्रिशूलधारी भोले, भस्म रमाए बाबा काशी।
तेरा ध्यान धरूं निशदिन, नटराज तेरा दर्शन पाए।
तेरी कृपा हो परमेश्वर मेरे, द्वार भाग्य के खुल जाए।
मन शिवालय हो जाए

श्रद्धा सुमन चरण चढ़ाऊं शब्दों की लेकर माला
भजूं भजन दिन रात स्वामी नाथ मेरा है मतवाला
भंग धतूरा भोग लगाए, नीलकंठ महादेव मनाए।
गले सोहे सर्पों की माला, सब देवों के देव भाए।
मन शिवालय हो जाए

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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