Kavita Holi Shab-e-berat
Kavita Holi Shab-e-berat

होली व शब्बेरात का त्यौहार 

( Holi wa Shab-e-berat ka tyohar ) 

 

फाल्गुन की पुण्य पूर्णिमा,थी मंगल तिथि सात ।

हिन्दुओं की होली, मुस्लिमों की शब्बेरात ।

खेलें खायें मनाये, पूजें  सभी एक साथ-साथ।

पूर्वजो  के प्रतीक गुजिया,चिराग की बिसात।

आओ मनाये  होली शब्बेरात  का त्यौहार ।।1।।

 नाचे गायें  मधुर फाग फैले चहुँओर ।

रंग के शैलाब में बयाँरे लाल  सराबोर ।

उड़े अबीर-गुलाल ,ज्यों चले सतरंगी मोर।

कहीं कली,कीचड़  पानी  तो कहीं लट्ठों का जोर।

ये है होली शब्बेरात का त्यौहार  ।।2।।

 

  बचा रहे  पर्यावरण  व धरती  की हरियाली।

उपरी कण्डी जोड़कर, बना ली एक गांव एक होली।

रंग रहे  हर्बल तभी बचेगी, रंगत दामन चोली ।

राधा रंगे कृष्ण को,सिया के रघुबर  दीनानाथ ।

आओ मनाये होली शब्बेरात का त्यौहार ।।3।।

 

सभी को मुबारक हो ये दोनों त्यौहार  ।

रंगीन होली और सुगंधित शब्बेरात।

भाभी रंगे देवर, देवरा करे न कुठाराघात।

हंस-हंस परिजन  खेलें, खेल रहा सारा  संसार।

आओ मनाये होली शब्बेरात का त्यौहार।।4।।

 

बंटे मिठाई रेवड़ी  फल,फसल तैयार हो आई।

नयी उमंगे लरकाई में, तरंगित ये नवयुवक  भाई ।

तरुण-तरुणियां मिले  गले, देकर दुआ व बधाई।

नशा की बुराई मिटाने को,आर0 बी0सदा तैयार।

आओ मनाये होली शब्बेरात का त्यौहार  ।।5।।

 

कविराम बरन सिंह ‘रवि’ (प्रधानाचार्य)

राजकीय इंटर कालेज सुरवां माण्डा

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

पिता एक अनमोल रतन | Pita ek anmol ratan kavita

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here