Geet pyasa man

प्यासा मन | Geet pyasa man

प्यासा मन

( Pyasa man )

 

उमड़ घुमड़ बदरिया बरसे बरसाओ प्रेम जरा सा
सावन की झड़ी लग रही मन मेरा फिर भी प्यासा
मन मेरा फिर भी प्यासा

 

महकी मन की बगिया फूलों की मुस्कानों सी
देखता हूं जब भी तुझको झूमती दीवानों सी
इक आहट से दिल धड़कता प्रेम गीत भरा सा
नैनों से तेरे रस टपके मन मेरा फिर भी प्यासा
मन मेरा फिर भी प्यासा

 

मदमाती इठलाती आती मधुबन की बहार सी
यौवन की बहती सरिता गुल गुलशन गुलजार सी
मुस्कानों के मोती बरसे दमकता चेहरा प्यारा सा
प्रेम सुधारस छलकता मन मेरा फिर भी प्यासा
मन मेरा फिर भी प्यासा

 

मौसम भी मदहोश हो जाता मधुर बहती बयार
दिल के तार बज उठे सारे देख मनमोहक श्रृंगार
सावन की हरियाली मन में भाव खुशी भरा सा
पास तुझको पाकर भी मन मेरा फिर भी प्यासा
मन मेरा फिर भी प्यासा

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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