सच्चा रिश्ता कौन सा | Geet Sachcha Rishta Kaun sa
सच्चा रिश्ता कौन सा
( Sachcha rishta kaun sa )
अपनापन सबको जताएं चेहरों पे मुस्कान लिए।
प्यार का रिश्ता निभाएं खुशियों का पैगाम लिए।
प्यार का रिश्ता निभाएं
सच्चा रिश्ता वही जग में जहां प्रेम की बहती धारा।
स्नेह का सागर उमड़े दिल से लगता अपना प्यारा।
रिश्तो की डगर पर सच्चा सुख दुख में काम आए।
मधुर बोल सुरीले प्यारे हम सबके अंतर्मन भाए।
प्यार का रिश्ता निभाएं
नेह की बहाये सरिता सद्भाव प्रेम उमड़े धारा।
रिश्तो में प्यार घोल दे बन जाए अमृतधारा।
बज उठे तार दिलों के गीत प्रेम के जो गाएं।
मन की बगिया महके बहारें समा महकाए।
प्यार का रिश्ता निभाएं
मां का पावन प्रेम सच्चा वात्सल्य की छत्रछाया।
पिता परमेश्वर हमारे सर पे स्नेह सुधा सी छाया।
भार्या भावों का मिलन है अनुराग दिल में जगाएं।
भाई बंधु सुत दारा सुमन घर आंगन को महकाएं।
प्यार का रिश्ता निभाएं
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )