चैत्र नवरात्र भक्ति धारा
( Chaitra Navratra Bhakti Dhara )
अष्ट भुजाओं वाली आओ, सिंह सवार हो माता।
धनुष बाण कमंडल, शोभित हे कुष्मांडा माता।
नवदुर्गा स्वरूप चतुर्थ, सर्व सुख दायिनी माता।
दिव्य ज्योति आलोक प्रभा, तेज तुम्हीं से आता।
सिंह सवार हो माता
उत्साह उमंग भरने वाली जीवन में आनंद भरो।
जग कल्याणी मात भवानी, अंबे जग पीर हरो।
आदि शक्ति आदि स्वरूपा, सर्व सिद्धि सुखदाता।
दसों दिशाएं आलोकित हो, जग रोशन हो जाता।
सिंह सवार हो माता
सूर्यलोक निवासिनी माता, दिव्य प्रभा कांति देती।
खुशहाली से झोली भरती, संकट सारे हर लेती।
अमृत कलश हाथ में तेरे, सुशोभित जपमाला।
विद्या बुद्धि यशदात्री, सजा है दरबार निराला।
सिंह सवार हो माता
मां कुष्मांडा कल्याण करें, वैभव देती भंडार भरे।
ध्यान धरे जो सच्चे मन से, उनका बेड़ा पार करें।
भाग्य तारे चमकाती, आराधक पूजक दर आता।
सबकी झोली भरने वाली, खोलो मार्ग सारे माता।
सिंह सवार हो माता
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )