समर्पण के बोल कह सकते नहीं | Geet samarpan ke bol
समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
( Samarpan ke bol kah sakate nahin )
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
देश का अपमान करने जोखुले,ऐसे मुखके बोल सह सकते नहीं !!
बाँटी हमने शान्ति और सदभावना
हर पड़ौसी और निर्बल को यहाँ
मित्रताएँ दीं धरा के छोर तक, शत्रु के पर साथ रह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
बाँध सकते नहीं हमको प्रलोभन
कुछ अनैतिक नहीं हमको चाहिए
सूरमा होया कोईअतिवीर हो,भय सेउसकी छाॅंव गह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
संस्कृति ने वर कई हमको दिये
शक्तियाँ हममें असीमित भरी हैं
काल सेभी युद्ध लड़सकते हैं हम,शत्रुके पर वार सह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
खून में जिनके भरा विश्वासघात
जो नहीं हैं पुत्र अपने पिताओं के
जो नहीं इसदेश केआत्मीय हैं,साथ उनके हम निबह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
नियति से उपहार हमको अकल्पित
श्रेष्ठ तम चिन्तन विमर्षों के मिले
रामरावण हो या महाभारतसमर,शत्रु से बिनलड़े रह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
आये अब तूफान धरती उलटने
तोड़ दे सीमाएं चाहे समन्दर
आग बरसाता रहे”आकाश “पर,युगों के विश्वास ढह सकते नहीं !!
अस्त्र लाये कोईभी दुश्मनमगर,समर्पण के बोल कह सकते नहीं !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )