सावन में | Geet Sawan Mein
सावन में
( Sawan Mein )
मधुर मिलन का ये महीना।
कहते जिसे सावन का महीना।
प्रीत प्यार का ये महीना,
कहते जिसे सावन का महीना।
नई नबेली दुल्हन को भी,
प्रीत बढ़ाता ये महीना।।
ख्वाबों में डूबी रहती है,
दिन-रात सताती याद उन्हें।
रिमझिम वारिश जब भी होती,
दिलमें उठती अनेक तरंगे।
पिया मिलन को तरस उठती,
सावन के इस महीने में वो।।
रोग लगा है नया नया,
क्योंकी ब्याह हुआ है अभी-अभी।
करें इलाज कैसे इसका,
मिट जाए ये रोग नया।
पिया मिलन तुम करवा दो,
सावन के इस महीने में।।
यही प्रार्थना लेकर वो
रोज जाये शिव मन्दिर में।
अर्पण जल बेल पत्ती करके
मन मे भाये एक बात को।
पिया मिलन तुम करवा दो
सावन के इस महीने में।।
हे शिव-प्रभु मेरी सुन लो
मेरी मुरादे पूरी कर दो।
दिलकी पीड़ा को समझो
और हल उसका कर दो।
पिया मिलन तुम करवा दो
सावन के इस महीने में।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई