तब होगी मन में हरियाली

तब होगी मन में हरियाली | Geet Man mein Hariyali

तब होगी मन में हरियाली

( Tab hogi man mein hariyali )

 

बरसे सावन खूब घनेरा, झड़ी लगी फुहारों वाली।
प्रेम उमड़े घट के भीतर, तब होगी मन में हरियाली।

 

मीठे-मीठे मोती झरे, शब्द सुधारस जाते घोल।
ओज वाणी सुनकर के, शत्रु तक भी जाते डोल।

 

उर आनंद तन मन होता, जन मन में होती दिवाली।
प्रेमपुष्प खिलकर महके, तब होगी मन में हरियाली।

 

घनघोर घटाएं बरसे रिमझिम, रिमझिम बरसे पानी।
खुशियों की लहर सुहानी, ओढ़े धरा चुनरी धानी।

 

भाई बहन का प्रेम अनूठा, आई राखी धागों वाली।
घर घर में हो नेहधारा, तब होगी मन में हरियाली।

 

देश प्रेम के रंग में सारे, गीत वतन के गाते है।
वंदे मातरम वंदे मातरम, नारा जय हिंद लगाते है।

 

राष्ट्रधारा सबके दिल में, बसती बाते वतन वाली।
खुशहाली आये घर घर, तब होगी मन में हरियाली।

 

अमन चैन की बंसी बाजे, झूमे नाचे गाए सब।
सावन के झूलों में सारे, तीज त्यौहार मनाए सब।

 

मस्ती भरे गीत लेकर, टोली चली मस्तानों वाली।
सद्भावो के फूल खिलेंगे, तब होगी मन में हरियाली।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *