घातक होता कोरोना का प्रहार | Kavita Ghatak hota Corona
घातक होता कोरोना का प्रहार
( Ghatak hota corona ka prahar )
घातक होता जा रहा अब
कोरोना का प्रहार
देखा नहीं जा रहा अब
प्रकृति का नरसंहार।
कसम से!
माता-पिता की बाहों में
प्राण तज रहे हैं लाल
कुछ ऐसा ही है देश भर का हाल?
अस्पतालों में दवाई नहीं
आक्सीजन की सप्लाई नहीं
नहीं मिल रहे हैं बेड
नेताजी झूट्ठे खिला रहे हैं-
आश्वासनों के ब्रेड!
दोनों हाथ खड़े कर दिए हैं
मानो इस सरकार ने
हृदय हृदय द्रवित हो उठा है
सुनकर चीख पुकार ये।
है लाशों का व्यापार चरम पर
निर्दयी देख रहे हैं तनकर
लूट खसोट मचाई है,
हजार की रेमडीसिविर
पच्चीस हजार में बिकवाई है;
अपने ही जनता को
ठगपतियों से लुटवाई है?
जनता कर रही त्राहि त्राहि
जाने कब खत्म होगी यह व्याधि?
कि जीवन पुनः खुशहाल बने
किसी मां की बांहों में
ग्रास काल न उसका लाल बने।
लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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