अक्ल नहीं है | Ghazal Akal Nahi Hai
अक्ल नहीं है
(Akal Nahi Hai )
अक्ल नहीं है उस जाहिल में
खोया दिल उसका ग़ाफ़िल में
रब टाल मुसीबत सर पे है
जा है मेरी तो मुश्किल में
बात छुपा न सनम तू कोई
बोल ज़रा जो तेरे दिल में
यादों की फुवारे आती है
मोज़े उठती जो साहिल में
सारे आये नज़र मुझे पर
न नज़र आया वो महफ़िल में
पा लेता है मंज़िल अपनी
ताक़त होती है क़ाबिल में
रोज़ मिली हो नफ़रत आज़म
उल्फ़त कैसे हो बेदिल में