बीज नियत करता है | Ghazal
बीज नियत करता है
( Beej niyat karta hai )
बीज नियत करता है जैसे, वृक्ष स्वभावऔर विस्तार!
विगत कर्म निश्चय करते हैं वर्तमान जीवन आधार !
जिसका गत में सत्कर्मों का,अपना लेखा उचित रहा
वह पा लेता अनायास ही,सुख सुविधाओं के आगार !
उसे जन्म से ही मिल जाते,सुख यश वैभव पारावार
उसमें आकस्मिक संयोगों, से बनते विशेष संस्कार !!
अगर लाटरीटिकिट विगत में ,नहीं खरीदी है जिसने
कैसे वह पा सकता उसका,कोईभी घोषित उपहार !!
मान चुका कमजोर स्वयं को , दौड़ा बाधादौड़ नहीं
रखे जीत के लिए इनामों,का क्यों हो वह भागीदार !!
ना ही असामान्य घटनाक्रम, ना कोई रोमांच कहीं
आखिर पढ़कर कौनकहेगा,श्रेष्ठकहानी है वह यार !!
नगफनियाॅं धरने पर उपवन, द्वारे बैठीं कोस रहीं
उन पर हॅंसता मौसम बगिया,में लेआया नई बहार !!
देह बनी है जो माटी से, वह मर कर माटी ही है
नहीं दुबारा बन सकतीवह,व्यर्थ बनाते लोग मजार !!
शकुनि राज में बहा रक्त के, धारों का पानी इफरात
ऊगरहीअब फसलपोस्त की,करने सबका बंटाधार !!
हाथ कान पर रख चिल्लाते,दिल पर हाथ नहीं रखते
खुद को कहते बहुत पारसा, गन्द नहीं धोने तैय्यार !!
जबसब रबकीऔलादें तो,जायदाद कुछकी हो क्यों
है इंसाके लिए गलततो,अल्ला को क्यों है स्वीकार !!
ऐसा पक्षपात कर सकता,जाबिर,सनकी या जालिम
है यह रब की हतक इज्जती, कहने वाले नाहंजार !!
इसे रिवायत कहे बताए, हर इक शख्स ग़लत ऐसा
जो पुस्तक ऐसा कहती है,वह पुस्तक भी है बेकार !!
अरब फारसी करें इबादत,और जुबानें सब काफिर
औरभावभाषा क्या सचमुच,नहींजानते रब सरकार !!
रब ने कठमुल्लों को लिख दी,अपनी ये दुनिया सारी
जाली,गलत वसीयत पुस्तक,झूठी है कहता संसार !!
चुप बैठा”आकाश”गिन रहा,गिनती सौ अपराधों की
होगा सारे शिशुपालों का, कृष्ण चक्र से जब संहार !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )