भुलाया चाहकर दिल से
भुलाया चाहकर दिल से

 

भुलाया चाहकर दिल से

( Bhulaya chahkar dil se )

 

भुलाया चाहकर दिल से वो ही चेहरा नहीं जाता!

बसा दिल में वो ऐसा जहन उसका नहीं जाता

 

मुहब्बत कह रही है रात दिन आवाजें देकर

किसी से प्यार का वादा दीगर तोड़ा नहीं जाता

 

सनम तोड़ने से पहले तू ये सोच लें रिश्ता

कभी रिश्ता उल्फ़त का फ़िर उससे जोड़ा नहीं जाता

 

बहुत कोशिश  कर ली है भूलने की ही उसे दिल से

मगर दिल से उसी का यादों का लम्हा नहीं जाता

 

हमेशा के लिये उससे मिला दें अब करम कर दें

बिना उससे ख़ुदाया अब रहा तन्हा नहीं जाता

 

उसे घर भेज दें अब हम सफ़र मेरा  बनाकर के

ख़ुदाया और रस्ता अब उसका देखा नहीं जाता

 

लगा है हर तरफ़ पहरा करुं दीदार कैसे अब

आज़म अब  गली उसकी मगर जाया नहीं जाता

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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