Ghazal dil besahara
Ghazal dil besahara

प्यार से दिल बेसहारा हो गया

( Pyaar se dil besahara ho gaya )

 

 

प्यार से दिल बेसहारा हो गया

कल यहां ऐसा इशारा हो गया

 

हम भला अब  किस तरह आवाज़ दे

गैर दिल अब  ये तुम्हारा हो गया

 

पार  अब होगी   न  दूरी हिज्र की

ज़ीस्त भर उससे किनारा हो गया

 

भेजते है दोस्ती का  गुल उसे

खेल अदावत  का  पुराना हो गया

 

आरजू टूटी मुहब्बत की ऐसी

हिज्र से कल दिल निशाना हो गया

 

इसलिये आज़म बहुत रोये तन्हा

गैर  कोई कल हमारा हो गया

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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