घर की इज़्ज़त

घर की इज़्ज़त | Ghazal Ghar ki Izzat

घर की इज़्ज़त

( Ghar ki Izzat )

 

यह हुनर दिल में ढाल कर रखना
घर की इज़्ज़त सँभाल कर रखना

हर तरफ़ हैं तमाशबीन यहाँ
कोई परदा भी डाल कर रखना

मैं भी दिल में तुम्हारे रहता हूँ
अपने दिल को सँभाल कर रखना

हर ग़ज़ल अंजुमन में छा जाये
दर्द दिल का निकाल कर रखना

मैं हूँ शायर ये मेरी ख़ूबी है
ज़हनो-दिल को खँगाल कर रखना

कामयाबी सभी से कहती है
हर क़दम देखभाल कर रखना

जो दिया मैं जलाये जाता हूँ
उम्र भर उसको बाल कर रखना

फिर किसी मोड़ पर मिलें साग़र
ऐसी सूरत निकाल कर रखना

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

यह भी पढ़ें:-

सियासत में आ गये | Ghazal Siyasat Mein Aa Gaye

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *