Ghazal Ban Jaaiye
Ghazal Ban Jaaiye

सदी बन जाइए

( Sadi Ban Jaaiye )

 

आप इक इतिहास इक युग इक सदी बन जाइए
बात यह सबसे बड़ी है आदमी बन जाइए

बह रहे जो आँख से उन आंसुओं को पोछ कर
बा- ख़ुशी दे दूसरों की जिंदगी बन जाइए

सोचिए मत आप कुछ ज्यादा यहाँ पर कौन क्या
आ किसी के काम उसकी बंदगी बन जाइए

हैं अँधेरे में भटकते अब बशर ये रोज ही
रास्ता उनको दिखाकर रोशनी बन जाइए

कुछ खिला दो भूख से रोते हुए बच्चे को सच
होंठ पर बस आप बच्चे की हँसी बन जाइए

Dr. Sunita Singh Sudha

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
( वाराणसी )
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