हे राजन | Ghazal Hey Rajan

हे राजन

( Hey Rajan )

हे, राजन तेरे राज में,रोजगार नही है,
मुफ़लिसों को वाजिब, पगार नही है।
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है खास जिनके धन के अंबार लगे है,
देखो गरीब तुम्हारे, गुनाहगार नही है।
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ये कोई दुश्मन नही है तेरे तरस करो,
भूखे है शोहरत के,तलबगार नही है।
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भर पेट खाना,बदन को छत चाहिए,
हे,राजन सिवाय तेरे मददगार नही है।
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इक सपना देखा तुमने है ये याद हमे ,
मत कहना तुम ये मेरे उदगार नही है।
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तुमने कहा मैं हवाई सफर कराऊँगा,
‘जैदि’ जिनके खुद के आगार नही है।
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Dr.L.C. Zaidi

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।

मायने:-
पगार:-मेहनताना
उदगार:- दिल के विचार
तलबगार:- इच्छा
आगार:-मकान (रहने का स्थान)

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आज़ादी | Hindi Poem Azadi

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