हुज़ूर आपका | Ghazal Huzoor Aapka
हुज़ूर आपका
( Huzoor Aapka )
हुज़ूर आपका अंदाज़ क्या निराला है
नज़र मिला के ही बस हमको मार डाला है
बदल रहे हैं जो मौक़े पे अपने चेहरे को
उन्हीं का आज ज़माने में बोलबाला है
ज़माना इसलिए पढ़ता है शौक से हमको
ग़ज़ल में रंग मुहब्बत का हमने ढाला है
लगे न चोट कभी माँ के दिल पे ऐ बेगम
बड़ी उमीद से माँ ने हमारी पाला है
रईस लोग तो लाये हैं फूल फल मेवा
हमारी बात यहाँ कौन सुनने वाला है
क़दम क़दम पे नुमाइश है शोख जिस्मों की
कि जैसे तैसे ही ईमान को सँभाला है
समझ में आ गयी साग़र रविश ज़माने की
हज़ारों बार पड़ा इससे अपना पाला है
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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